Magazine - Year 1986 - Version 2
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Language: HINDI
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अचानक लुप्त होने वाली वस्तुएँ
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मनुष्य भूलवश अपनी वस्तुओं को खोता-गँवाता तो रहता ही है; पर कई बार ऐसी घटनाएँ घटित होती हैं, जिनमें गायब हुई वस्तु के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह रास्ते में कहीं छूट गई होगी या किसी ने चुरा लिया होगा।
भारी चीजें धीरे-धीरे गुम हों तो यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि किसी ने उन्हें काट-पीटकर कहीं से कहीं पहुँचाया होगा; पर उसमें भी समय तो लगेगा ही और जहाँ ले जाई गई है, वहाँ तक कोई पदचिह्न-सुराग तो मिलेगा ही; पर जब ऐसा कुछ नहीं होता और भारी चीजें यकायक लुप्त हो जाती हैं तो उनका बुद्धिसंगत समाधान नहीं सूझता और उसके पीछे कोई देव-दानव काम करता प्रतीत होता है। ऐसी आश्चर्यजनक घटनाएँ भूतकाल में भी होती रही हैं और कभी-कभी अभी भी घटित होती हैं।
बरमूडा त्रिकोण के संबंध में प्रसिद्ध है कि उस क्षेत्र में से गुजरने वाले अनेकों जलयान एवं वायुयान खो चुके हैं। साधारण खोजबीन से पता न चला तो वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष संबंधी रहस्यों को आधार बनाया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इस क्षेत्र में किसी छोटे ‘ब्लैक होल’ का प्रभाव होना चाहिए। बड़ा ब्लैक होल तो समूची पृथ्वी को भी निगल सकता है। मृत तारों का प्रेत ब्लैक होल बन जाता है, उसके मुँह में जो भी समाता है उसे निगल लेता है। उसका अंत कहाँ है? इसके बारे में अभी कोई निर्णय नहीं हो सका; किंतु छुट-पुट स्थानों से जब बड़ी वस्तुओं के गायब होने के समाचार मिलते हैं तो ब्लैक होल की करतूत उसे नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसका मुँह चौड़ा होता है और एक दायरे की समूची वस्तुओं को प्रचंड चक्रवात की तरह उड़ा ले जाता है; पर कम वस्तुओं की, कम घेर की वस्तुओं के संबंध में वैसा अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
सेन्ट न्याटस के गैरिज से 16 फुट लंबा एक केबिन जहाज गुम हो गया। उसे कौन ले गया, कहाँ ले गया, कैसे ले गया? इसकी मुद्दतों तलाशी होती रही पर कुछ पता न चला।
एक जलयान गुम होने की ऐसी ही घटना इसी प्रकार की और घटी। एक 16 हजार टन का जहाज 211 यात्रियों को लेकर रवाना हुआ। लाइफ वोट आदि का पूरा सुरक्षा सामान साथ था, सूचना देने के रेडियो-यंत्र भी; पर वह बिना कोई सूचना दिए, बिना एक आदमी के जीवित बचे अचानक गायब हो गया। संभावित क्षेत्र की गहराई में उसके मलबे की तलाश की गई पर इस घटना का कोई सूत्र हाथ न लगा।
इसके कुछ ही समय पश्चात सन् 1872 की घटना है। यह जहाज मिसीसिपी बंदरगाह से रवाना हुआ था। इस व्यापारी जहाज में कपास लदा था और 88 यात्री भी सवार थे। कुछ दूर चलने के बाद वह भी यकायक गुम हो गया। अग्निकांड जैसी दुर्घटना का भी कोई चिह्न कहीं नहीं था। एक शताब्दी तक सब स्तर की खोज चलती रही बाद में निराश होकर उसकी खोज फाइल बंद करनी पड़ी।
अबरैल नदी में एक 35 फुट लंबा जलयान एक नाविक ने खाली बहता हुआ देखा। वह अपनी डोंगी लेकर उस तक पहुँचा और चढ़ने पर देखा कि उसमें न तो कोई सामान है और न व्यक्ति। वह उसे किसी प्रकार घसीटता हुआ निकटवर्ती नगर तक लाया और पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने सभी साधनों से संसार भर के सभी देशों को इस संबंध में सूचना दी; पर उसके मालिक का कोई पता न चलने पर उस पकड़ने वाले नाविक की सुपुर्दगी में तब तक के लिए छोड़ दिया जब तक असली मालिक का पता न चले। फिर पता चला ही नहीं।
सन् 1945 में पाँच बमवर्षक-प्रशिक्षण की उड़ानों पर उड़ रहे थे। अचानक कंट्रोल रुम से उन सभी का संबंध टूट गया और वे कहाँ गए इसका किसी भी प्रकार पता नहीं चला। हवाई जहाजों के एक बड़े-बेड़े ने भी उनका समूचा मार्ग छान मारा; पर कहीं कोई पता नहीं चला।
ऐसी ही एक विचित्र घटना आक्सफोर्ड शायन की है। उस क्षेत्र में जमीन के नीचे एक बड़ी नाली बनाई जा रही थी। इस निमित्त एक खास जगह के लिए 6 टन भारी पत्थर की आवश्यकता हुई और उसे काट-छाँटकर काम योग्य बनाया गया। कई दिनों ढूँढ़ने और जासूस छोड़ने के उपरांत भी जब कुछ पता न लगा तो उसे ढूँढ़ने के लिए 5 हजार का सरकारी इनाम घोषित किया गया, फिर भी उसकी कोई जानकारी न मिल सकी। गुम सो गुम।
18 वीं सदी की सबसे बड़ी चोरी वह है, जिसमें स्पेनिश युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों की एक पूरी कंपनी ही गायब हो गई। उसमें चार हजार सैनिक थे। रात को अच्छे-भले सोए; पर सवेरे उनका कोई अता-पता न लगा। न भागने का कोई चिह्न था, न शत्रुपक्ष से मिलने का। शत्रुपक्ष से संपर्क मिलाया तो उसने भी इस सेना के संबंध में कोई जानकारी न होने का उत्तर दिया। सेना का कैंप पियरेनीस के बाद दूसरे दिन मार्चकिन में पड़ाव डाले थे। सैनिकों के घरों पर इन्क्वायरी की गई तो इस कंपनी का एक भी आदमी अपने घर-परिवार में नहीं लौटा था।
इस प्रकार की छूट-पुट घटनाएँ तो होती रहती हैं; पर उन्हें मनुष्यकृत चोरी-छिपे की घटना माना जाता है, पर ऐसी घटनाएँ जिसमें जमीन में समा जाने या आकाश में उड़ जाने भर की कल्पना की जा सके, कदाचित ही कभी-कभी घटित होती है।
उड़न तश्तरियों के संबंध में कभी-कभी अवश्य सुना जाता है कि वे जीवित मनुष्यों या बहुमूल्य उपकरणों को अंतरिक्ष में पृथ्वी संबंधी जानकारियाँ अधिक विस्तारपूर्वक जानने के लिए उड़ा ले जाती हैं। कहा जाता है कि विकसित सभ्यता वाले किसी अन्य लोकवासी पृथ्वी के संबंध में विशेष दिलचस्पी रखते हैं। वे पहले भी यहाँ आते रहे हैं और अपने आगमन के प्रमाण छोड़ते रहे हैं। इस आधार पर कल्पना की जाती है कि उपरोक्त घटनाओं में उसका हाथ रहा हो। ऐसा है कि अंतरिक्ष में पड़ने वाले वायुमंडलीय या विद्युत चुंबकीय भँवरों की कोई लहर इस तरह अपनी चपेट में लेकर उसका अस्तित्व विलुप्त कर देती हो।
पर यह सभी कल्पनाएँ हैं। मानवी सूझ-बूझ और खोजबीन की भी एक छोटी सीमा है और उससे बाहर भी बहुत कुछ होता रहता है, अभी तो इतना ही कहा जा सकता है।