Books - संस्कृति की सीता को वापस लाएँ
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Language: HINDI
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घर-घर जाकर बेअकली दूर करनी होगी
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मित्रो! क्या करना पड़ेगा? आज के जमाने में सिर्फ एक काम करना पड़ेगा कि हमको जन जन के पास जाकर के उनकी बेअकली को दूर करना पड़ेगा। जहाँ जहाँ तक वह फैली हुई हैं, उसको दूर करने के लिए हमको वह काम करना पड़ेगा, जो परिव्राजक अभियान के अंतर्गत हमारे प्राचीनकाल में ऋषि किया करते थे, मध्यकालीन तीर्थयात्री किया करते थे। अंतिम समय में भगवान बुद्ध के शिष्यों, परिव्राजकों ने किया था। आपको यही करना पड़ेगा। घर-घर में जाना पड़ेगा। घर-घर को जगाना पड़ेगा। घर-घर में जो अवांछनीयता की और अनैतिकता की बीमारियाँ फैली पड़ी हैं, घर-घर में दवा बाँटनी पड़ेगी। आपको घर-घर में डी०डी०टी० छिड़कनी पड़ेगी। घर-घर में इसके छिड़काव की जरूरत है; क्योंकि मलेरिया बहुत जोर से फैल गया है। मलेरिया के मच्छर बेहिसाब से आ रहे हैं। घर-घर जाइए। नहीं साहब! मच्छरों को यहीं बुलाकर लाइए और जो घर की सीलन है, सबके यहाँ खबर भेजिए कि लिफाफे में बंद कर डाकखाने के माध्यम से हमारे पास मच्छरों को भेज दें। मलेरिया के मच्छर जैसे ही हमारे पास आएँगे, हम सबको पकड़ लेंगे। भाईसाहब! मलेरिया के मच्छर आपके यहाँ नहीं आ सकते, आप चाहें तो वहाँ पर जा सकते हैं। मलेरिया आपके यहाँ नहीं आएगा, आप चाहें तो वहाँ जा सकते हैं। आप डी०डी०टी० लेकर घरों में जा सकते हैं। घर आपकी डी०डी०टी० के पास नहीं आएँगे।