Books - संस्कृति की सीता को वापस लाएँ
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Language: HINDI
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हम एक लाख पादरी बनाएँगे
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मित्रो! हम कोशिश करेंगे कि उसी स्तर की, उसी संख्या में सेना बना दें, जितनी कि भगवान बुद्ध बनाने में समर्थ हुए थे। एक लाख के करीब उन्होंने शिष्य बनाए थे और ईसाई मिशन के पास भी एक लाख के करीब पादरी हैं। आप भी इतनी हिम्मत करते हैं? बेटे! कोशिश करेंगे। इतने आदमी यहाँ शान्तिकुञ्ज में तो नहीं रह सकते, लेकिन हमारा ऐसा ख्याल है कि हम गाँव गाँव में, देश देश में और घर घर में शान्तिकुञ्ज बनाएँगे और जाग्रत केंद्र बनाएँगे। वहाँ से फिर ईसाई मिशन के तरीके से हम नए वानप्रस्थ पैदा कर सकते हैं। बेटे! हमारे ख्वाब बड़े महत्त्वाकांक्षी हैं। आगे क्या होगा? भगवान जाने, लेकिन हमारे ख्वाब जरूर ऐसे हैं। नहीं साहब! आज की बात बताइए। आज की बात तो यह है कि छोटे से कार्यक्रम के लिए हम आपको भेजते हैं। बड़ा काम तो हम बाद में सुपुर्द करेंगे। कैसे सुपुर्द करेंगे? बेटे! हमारी महत्त्वाकांक्षाओं को जब देखेगा तो तू कहेगा कि गुरुजी तो पागल हैं और सनकते रहते हैं। जब हम विदेशों में गए तो हर जगह हममे एक ही बात कही गई कि साहब! प्राचीनकाल में संत और ऋषि थे। अब संत और ऋषि रहे कहाँ! उन्होंने कहा कि यदि रहे होते तो आप उन्हें क्यों नहीं भेजते? हमारे देश में भारत का धर्म और संस्कृति खतम होती चली जा रही है। हमें ब्याह कराने तक की विधि मालूम नहीं है। हमको हिंदुस्तानी तक बोलना नहीं आता। अब अगर आप हमारे यहाँ कोई आदमी भेज दें, तो कम से कम हमारे बच्चों को, हमारी महिलाओं को वे ज्ञान कराते रहेंगे। हमारे यहाँ भी कुछ काम चलता रहेगा, संस्कार होते रहेंगे। हम तो संस्कार भी नहीं कराते, और कोर्ट में जा करके, अदालत में जा करके रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। हमको हवन-विधि भी नहीं आती। आप कुछ लोगों को यहाँ भेज दें, तो कुछ काम बने। बेटे! हम भेजने की कोशिश करेंगे।