Books - संस्कृति की सीता को वापस लाएँ
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Language: HINDI
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यह युग-परिवर्तन की वेला है
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मित्रो! यही समय है, जिसके लिए मैं आपको याद दिलाता था और इसीलिए इस शिविर में आपको बुलाया है। अगर आप समय को परख सकते हों, समय को देख सकते हों, समय को जान सकते हों, तो आप यह देख लें कि यह युग-परिवर्तन का समय है। इससे अच्छा, बेहतरीन समय शायद आपके जीवन में दोबारा नहीं आएगा और मैं तो केवल आपके जीवन की बात नहीं कहता हूँ हजारों वर्षों तक ऐसा समय नहीं आएगा, जैसे कि हम और आप जिस समय में बैठे हुए हैं। इस समय में क्या करना चाहिए? बेटे! आपको एक ही काम करना चाहिए कि संस्कृति की सीता को वापस लाने के लिए मेहनत करनी चाहिए और मशक्कत करनी चाहिए। अच्छा आप कार्यक्रम बताइए! बेटे, आपके सामने जो कार्यक्रम पेश किया है, आज की परिस्थिति में इससे अच्छा दूसरा नहीं हो सकता। आज की क्या परिस्थिति है? आज की परिस्थिति एक ही है कि आज के युग का जो रावण है, वह क्या है? इस युग की पूतना क्या है? इस युग की ताड़का क्या है? इस युग की शूर्पणखा क्या है? इस युग की सुरसा क्या है? इस युग की एक ही सुरसा है, जिसका नाम है बेअकली। आदमी के अंदर बेअकली इस कदर हावी हुई है कि जब से दुनिया बनाई गई, तब से आज का दिन है, मैं सोचता हूँ कि बेअकली का दौर इतना ज्यादा कभी नहीं हुआ, जितना कि आज है। आज आदमी कितना शिक्षित होता हुआ चला जाता है, पर बेअकली की हद है। कहाँ तक पढ़ा है? पढ़ने वाले के ऊपर लानत! जाने कहाँ तक पढ़ते जाते हैं। बी०ए० पास है, एम०ए० पास है। अच्छा तो यह कमाता तो जरूर होगा? मैं जानता हूँ कि बी०ए० पास को ढाई सौ रुपए मिलते होंगे, तो एम०ए० पास को चार सौ रुपए मिलते होंगे। इतना तो इनको मिलता ही होगा, लेकिन बेअकली के मामले में ये वो आदमी हैं, जिनको मैं ''बेहूदा'' शब्द कहूँ, तो भी कम है। आदमी जीवन की समस्याओं के बारे में इतना ज्यादा गैरजिम्मेदार है कि जिसके दुःखों का ठिकाना नहीं है। जहाँ भी वह रहता है, क्लेश पैदा करता रहता है। दफ्तर में रहता हैं तो क्लेश पैदा करता है। जहाँ कहीं भी जाता है, क्लेश पैदा करता है -अपने लिए भी और औरों के लिए भी। यह बेअकल आदमी है, जिसको जिंदगी का मजा, जिंदगी का सौंदर्य, जिंदगी का सुख लेना आता ही नहीं। जिंदगी का सुख और सौंदर्य कैसे हो सकता है, इसके बारे में हमें क्या विचार करना चाहिए हमको मालूम ही नहीं है।