Books - संस्कृति की सीता को वापस लाएँ
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Language: HINDI
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यह वक्त बार-बार नहीं आएगा
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बेटे! यह युग बदलने का वक्त है। युग संध्या का वक्त है। यह बार बार नहीं आएगा। एक ही बार आया है और यह चला जाएगा। दोबारा नहीं आ सकता। गाँधी जी का उनासी आदमियों का जत्था जिस समय नमक बनाने के लिए गया था, मैं भी उन दिनों वहीं था। साबरमती के आश्रम में गाँधी जी के पास मैं रहता था। क्योंकि मेरी उम्र अठारह साल से कम थी, इसलिए नाबालिग होने की वजह से उन्होंने इनकार कर दिया था कि आप वहाँ नहीं जा सकते। आपकी उम्र छोटी है, इसलिए हम नमक सत्याग्रहियों में आपको लेकर नहीं चलेंगे। हमको नहीं लिया गया, लेकिन उनासी आदमी, जो नमक बनाने के लिए गए थे, उन सत्याग्रहियों की फिल्म जब देहरादून आई तो हमने वह फिल्म देखी। यू ०पी० सरकार की फिल्म हम मँगाते रहते हैं। हमारे पास फिल्म प्रोजेक्टर था। यहाँ बच्चों को, लड़कियों को दिखाते रहते थे। हमने गाँधी जी की वह फिल्म देखी, जिसमें वे नमक बनाने के लिए गए थे। उनासी आदमियों में से एक-एक कर सामने आते चले गए। हरिभाऊ उपाध्याय आते चले गए महादेव भाई देसाई आते चले गए। गाँधी जी लाठी लेकर डाँडी यात्रा में चल रहे हैं। वहाँ बरगद के पेड़ के नीचे ठहर रहे हैं। बाकी सत्याग्रहियों का जत्था एक के बाद एक चल रहा है। हम नहीं जा सके। हमारे मन में आया कि अगर मैं भी अठारह वर्ष की उम्र का रहा होता और भगवान ने अगर मौका दे दिया होता और मैं भी गया होता तो हमारी भी फिल्म सारे भारतवर्ष में दिखाई जाती और राजेश खन्ना की तरह से हमको भी लोग समझते, पर क्या करें-समय था, जो निकल गया। तो क्या वह मौका दोबारा आएगा? बेटे अब तो हम सत्तर साल के हैं। अब अगर गाँधी जी होते तो हम कहते कि अब आप हमको लेकर चलिए और हमारी भी फिल्म खिंचवा दीजिए। बेटे! अब नहीं खिंच सकती, क्योंकि वह मौका चला गया।