भारतीय संस्कृति की वैश्विक प्रतिष्ठा में योगदान भारतभूमि से ही विश्व में सकारात्मव बदलाव आएगा। - डॉ. चिन्मय जी
नोएडा, गौतमबुद्ध नगर। उत्तर प्रदेश नोएडा के सरस्वती शिशु मंदिर में 24 नवम्बर को आयोजित ‘प्रेरणा विमर्श-2024’ का समापन हुआ। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से आयोजित इस समारोह की विषयवस्तु पंच परिवर्तन - स्व, समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और पर्यावरण की अवधारणा पर केन्द्रित थी। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति, मानवता और अध्यात्म के गहरे संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि समाज के बदलाव के लिए भीतर से परिवर्तन होना आवश्यक है। भारत की भूमि से निकले विचार पूरी मानवता को दिशा देने की क्षमता रखते हैं। जब व्यक्ति बदलेगा, तो समाज बदलेगा और जब समाज बदलेगा, तब विश्व में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। पर्यावरण को पोषित करना और हमारे प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि ने भारतीय संस्कृति की ऋषि परंपरा और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना पर अपने विचार व्यक्त किये, जिन्हें समाज, पर्यावरण और विश्व कल्याण के लिए अपनाने की आवश्यकता है। समारोह में प्रमुख वक्तताओं के रूप में श्रीमान सुनील अंबेडकर (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठक), श्रीमती प्रीति दद्दू (अध्यक्ष, प्रेरणा शोध संस्थान न्यास), श्री अतुल त्यागी (अध्यक्ष, प्रेरणा विमर्श-2024), और श्री के. एन. यादव (अध्यक्ष, समापन समारोह) ने भी अपने विचार साझा किए।