कांगड़ा में बही युगऋषि के विचारों की गंगा
कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश
सत्संग ज्ञान का सरोवर है। सत्संग ही बहती गंगा और सत्संग ही भगवान से मिलने का सशक्त माध्यम है। शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि श्री शशिकांत सिंह ने जिला कांगड़ा के गढ़ नोरा में आयोजित 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के अवसर पर प्रज्ञा पुराण कथा का महत्त्व बताते हुए यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने परम पूज्य गुरूदेव के विचारों के माध्यम से श्रद्धालुओं को त्मविभोर करते हुए मानव जाति पर आए संकट और दु:खों का कारण अज्ञान बताया। उन्होंने कहा कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा रचित प्रज्ञा पुराण कथा वर्तमान युग की समस्याओं का समाधान करती है। शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि ने कहा कि प्रज्ञा पुराण कथा ईश्वर, धर्म, भक्ति, अध्यात्म, संस्कार, संस्कृति आदि हर क्षेत्र में मानवीय चिंतन को परिष्कृत कर समाज को प्रगतिशील परम्पराओं से जोड़ती है, मानवता के उत्थान का पथ प्रशस्त करती है।
गायत्री महायज्ञ का आयोजन 17 मई तक हुआ। इसका शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। प्रतिदिन हजारों लोगों ने सबके लिए सद्बुद्धि की प्रार्थना तथा राष्ट्र के नवनिर्माण की कामना के साथ यज्ञाहुतियाँ अर्पित कीं। श्री राजीव सूद के अनुसार लोगों में इस आध्यात्मिक उत्सव में भागीदारी के लिए अभूतपूर्व उत्साह दिखाई दिया। गायत्री प्रज्ञा मण्डल धीरा ने शरबत और ठंडे पानी की छबीलें लगाकर गर्मी में श्रद्धालुओं को राहत देने का कार्य किया।