• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • गायत्री साधना के दो स्तर
    • सूक्ष्म शरीर के अविज्ञात क्रिया कलाप
    • उच्चस्तरीय साधना और उसकी सिद्धि
    • उच्चस्तरीय साधना का तत्त्वज्ञान
    • गायत्री के पाँच मुख
    • देवताओं के अधिक अंगों का रहस्य
    • गायत्री माता की दस भुजायें और उनका रहस्य
    • प्रतीक का निष्कर्ष
    • गायत्री का भावनात्मक एवं वैज्ञानिक महत्व
    • गायत्री के पाँच मुख पाँच दिव्य कोश
    • अनन्त आनन्द की साधना
    • पाँच कोशों की स्थिति और प्रतिक्रिया
    • पाँच कोशों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि
    • चेतना के पाँच आयाम पंच कोश उपासना
    • सूक्ष्म शरीर के पाँच कोश एवं उनका वैज्ञानिक विवेचन
    • मानवी काया की चेतनसत्ता का वैज्ञानिक विवेचन वैज्ञानिक अध्यात्मवाद
    • पंच कोश और उनका अनावरण
    • जीवात्मा के तीन शरीर और उनकी साधना
    • तीन शरीर और उनका कार्य क्षेत्र
    • कायसत्ता के तीन कलेवर एवं उनका अनावरण
    • चारों ओर बिखरा सूक्ष्म का सिराजा
    • अन्तराल में समाई दिव्य शक्तियाँ सिद्धियाँ
    • मनुष्य देह में भरा विलक्षण विराट
    • स्थूल शरीर का परिष्कार कर्मयोग से
    • सूक्ष्म शरीर की महती सामर्थ्य
    • सूक्ष्म शरीर की दिव्य ऊर्जा और उसकी विशिष्ट क्षमता
    • प्रमाणित तो होता है, सूक्ष्म शरीर का अस्तित्व
    • नौ प्राणायाम
    • सूक्ष्मीकरण की अनेक गुनी सामर्थ्य
    • सूक्ष्म शरीर का दिव्यीकरण
    • सूक्ष्म शरीर के उत्कर्ष की पृष्ठभूमि
    • सूक्ष्म शरीर का उत्कर्ष ज्ञानयोग से
    • भाव संवेदनाओं का भाण्डागार: कारण शरीर
    • कारण शरीर देव शरीर
    • कारण शरीर की विशिष्टता भाव श्रद्धा
    • कारण शरीर का उत्कर्ष भक्तियोग से
    • स्थूल शरीर की तरह ही सूक्ष्म और कारण
    • योग साधना की तीन धाराएँ
    • त्रिविध शरीरों की समन्वित साधना
    • हमारा अद्भुत विलक्षण अन्नमय कोश
    • जीव सत्ता की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य
    • अन्नमय कोश और चमत्कारी हार्मोन ग्रन्थियाँ
    • हमारे शरीर के रहस्यमय घटक जीन्स
    • अन्नमय कोश का परिष्कार और प्रतिफल
    • अन्नमय कोश और उसका अनावरण
    • अन्नमय कोश की जाग्रति, आहार शुद्धि से
    • आहार के त्रिविध स्तर, त्रिविध प्रयोजन
    • आहार, संयम और अन्नमय कोश का जागरण
    • आहार विहार से जुड़ा है मन
    • आहार और उसकी शुद्धि
    • आहार शुद्धौः सत्व शुद्धौः
    • अन्नमय कोश की सरल साधना पद्धति
    • उपवास का आध्यात्मिक महत्त्व
    • उपवास से सूक्ष्म शक्ति की अभिवृद्धि
    • उपवास से उपत्यिकाओं का शोधन
    • उपवास के प्रकार
    • उच्चस्तरीय गायत्री साधना और आसन
    • आसनों का काय विद्युत शक्ति पर अद्भुत प्रभाव
    • आसनों के प्रकार
    • सूर्य नमस्कार की विधि
    • पंच तत्वों की साधना तत्व साधना एक महत्त्वपूर्ण सूक्ष्म विज्ञान
    • तत्व शुद्धि
    • तपश्चर्या से आत्मबल की उपलब्धि
    • आत्मबल तपश्चर्या से ही मिलता है
    • तपस्या का प्रचण्ड प्रताप
    • तप साधना द्वारा दिव्य शक्तियों का उद्भव
    • ईश्वर का अनुग्रह तपस्वी के लिए
    • पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
    • प्राणमय कोश और उसका विकास
    • प्राण शक्ति का स्वरूप और अभिवर्धन
    • प्राणमय कोश में सन्निहित प्रचण्ड जीवनी शक्ति-प्राण
    • प्राणायाम और प्राणशक्ति
    • प्राणायाम से प्राणमय कोश का परिष्कार
    • प्राणमय-कोश की साधना
    • प्राणाकर्षण की क्रियायें
    • पाँच प्राणों की साधना-पाँच कोशों की सिद्धि
    • पाँच प्राण-पाँच उपप्राणों की अद्भुत शक्ति धाराएँ
    • मूल बंध, उड्डियान बंध और जालंधर बंध का रहस्य
    • मुद्रा उपचार
    • मनोमय कोश का अनावरण
    • मनोमय कोश का विकास परिष्कार
    • मनोमय कोश की साधना से सर्वार्थ सिद्धि
    • मन और उसका निग्रह
    • ध्यान
    • त्राटक
    • त्राटक-साधन से एकाग्रता शक्ति का अभिवर्द्धन
    • मनोमय कोश और आज्ञा चक्र
    • त्राटक साधना से दिव्य दृष्टि की जागृति
    • जप साधना
    • पंच तन्मात्राओं की साधनाएँ तथा सिद्धियाँ
    • पंच तन्मात्राओं का पंच ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्ध
    • शब्द साधना
    • रूप साधना
    • छाया पुरुष- हमारा समर्थ सूक्ष्म शरीर
    • रस साधना
    • गन्ध साधना
    • स्पर्श- साधना
    • विज्ञानमय कोश का जागरण
    • विज्ञानमय कोश-सूक्ष्म सिद्धियों का केन्द्र
    • विज्ञानमय कोश का केन्द्र संस्थान हृदयचक्र
    • विज्ञानमय कोश और जीवन साधना
    • विज्ञानमय कोश का जागरण
    • सोऽहम् साधना
    • आत्मानुभूति-योग
    • आत्मदर्शन की समर्थ साधना
    • आत्म- चिन्तन की साधना
    • दूसरी साधना
    • स्वर योग
    • आत्मानुभूति-योग
    • स्वर बदलना
    • स्वर-संयम से दीर्घ जीवन
    • विज्ञानमय-कोश की वायु साधना
    • त्रिविधि बंधन और उनसे मुक्ति
    • ग्रन्थि- बेध
    • आनन्दमय कोश का अनावरण
    • आनन्दमय कोश-शिव शक्ति का संगम
    • २७ समाधियों में सर्वोत्तम सहज समाधि
    • आनन्दमय कोश अनावरण
    • नाद साधना
    • नाद साधना का क्रमिक अभ्यास
    • आनन्दमय कोश की तीन उपलब्धियाँ समाधि, स्वर्ग और मुक्ति
    • बिन्दु साधना
    • नादयोग- दिव्य सत्ता के साथ आदान प्रदान
    • बिन्दुभेद की साधना-विधि
    • कला- साधना
    • पाँचकलाओं द्वारा तात्विक साधना
    • तुरीय अवस्था
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • गायत्री साधना के दो स्तर
    • सूक्ष्म शरीर के अविज्ञात क्रिया कलाप
    • उच्चस्तरीय साधना और उसकी सिद्धि
    • उच्चस्तरीय साधना का तत्त्वज्ञान
    • गायत्री के पाँच मुख
    • देवताओं के अधिक अंगों का रहस्य
    • गायत्री माता की दस भुजायें और उनका रहस्य
    • प्रतीक का निष्कर्ष
    • गायत्री का भावनात्मक एवं वैज्ञानिक महत्व
    • गायत्री के पाँच मुख पाँच दिव्य कोश
    • अनन्त आनन्द की साधना
    • पाँच कोशों की स्थिति और प्रतिक्रिया
    • पाँच कोशों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि
    • चेतना के पाँच आयाम पंच कोश उपासना
    • सूक्ष्म शरीर के पाँच कोश एवं उनका वैज्ञानिक विवेचन
    • मानवी काया की चेतनसत्ता का वैज्ञानिक विवेचन वैज्ञानिक अध्यात्मवाद
    • पंच कोश और उनका अनावरण
    • जीवात्मा के तीन शरीर और उनकी साधना
    • तीन शरीर और उनका कार्य क्षेत्र
    • कायसत्ता के तीन कलेवर एवं उनका अनावरण
    • चारों ओर बिखरा सूक्ष्म का सिराजा
    • अन्तराल में समाई दिव्य शक्तियाँ सिद्धियाँ
    • मनुष्य देह में भरा विलक्षण विराट
    • स्थूल शरीर का परिष्कार कर्मयोग से
    • सूक्ष्म शरीर की महती सामर्थ्य
    • सूक्ष्म शरीर की दिव्य ऊर्जा और उसकी विशिष्ट क्षमता
    • प्रमाणित तो होता है, सूक्ष्म शरीर का अस्तित्व
    • नौ प्राणायाम
    • सूक्ष्मीकरण की अनेक गुनी सामर्थ्य
    • सूक्ष्म शरीर का दिव्यीकरण
    • सूक्ष्म शरीर के उत्कर्ष की पृष्ठभूमि
    • सूक्ष्म शरीर का उत्कर्ष ज्ञानयोग से
    • भाव संवेदनाओं का भाण्डागार: कारण शरीर
    • कारण शरीर देव शरीर
    • कारण शरीर की विशिष्टता भाव श्रद्धा
    • कारण शरीर का उत्कर्ष भक्तियोग से
    • स्थूल शरीर की तरह ही सूक्ष्म और कारण
    • योग साधना की तीन धाराएँ
    • त्रिविध शरीरों की समन्वित साधना
    • हमारा अद्भुत विलक्षण अन्नमय कोश
    • जीव सत्ता की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य
    • अन्नमय कोश और चमत्कारी हार्मोन ग्रन्थियाँ
    • हमारे शरीर के रहस्यमय घटक जीन्स
    • अन्नमय कोश का परिष्कार और प्रतिफल
    • अन्नमय कोश और उसका अनावरण
    • अन्नमय कोश की जाग्रति, आहार शुद्धि से
    • आहार के त्रिविध स्तर, त्रिविध प्रयोजन
    • आहार, संयम और अन्नमय कोश का जागरण
    • आहार विहार से जुड़ा है मन
    • आहार और उसकी शुद्धि
    • आहार शुद्धौः सत्व शुद्धौः
    • अन्नमय कोश की सरल साधना पद्धति
    • उपवास का आध्यात्मिक महत्त्व
    • उपवास से सूक्ष्म शक्ति की अभिवृद्धि
    • उपवास से उपत्यिकाओं का शोधन
    • उपवास के प्रकार
    • उच्चस्तरीय गायत्री साधना और आसन
    • आसनों का काय विद्युत शक्ति पर अद्भुत प्रभाव
    • आसनों के प्रकार
    • सूर्य नमस्कार की विधि
    • पंच तत्वों की साधना तत्व साधना एक महत्त्वपूर्ण सूक्ष्म विज्ञान
    • तत्व शुद्धि
    • तपश्चर्या से आत्मबल की उपलब्धि
    • आत्मबल तपश्चर्या से ही मिलता है
    • तपस्या का प्रचण्ड प्रताप
    • तप साधना द्वारा दिव्य शक्तियों का उद्भव
    • ईश्वर का अनुग्रह तपस्वी के लिए
    • पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
    • प्राणमय कोश और उसका विकास
    • प्राण शक्ति का स्वरूप और अभिवर्धन
    • प्राणमय कोश में सन्निहित प्रचण्ड जीवनी शक्ति-प्राण
    • प्राणायाम और प्राणशक्ति
    • प्राणायाम से प्राणमय कोश का परिष्कार
    • प्राणमय-कोश की साधना
    • प्राणाकर्षण की क्रियायें
    • पाँच प्राणों की साधना-पाँच कोशों की सिद्धि
    • पाँच प्राण-पाँच उपप्राणों की अद्भुत शक्ति धाराएँ
    • मूल बंध, उड्डियान बंध और जालंधर बंध का रहस्य
    • मुद्रा उपचार
    • मनोमय कोश का अनावरण
    • मनोमय कोश का विकास परिष्कार
    • मनोमय कोश की साधना से सर्वार्थ सिद्धि
    • मन और उसका निग्रह
    • ध्यान
    • त्राटक
    • त्राटक-साधन से एकाग्रता शक्ति का अभिवर्द्धन
    • मनोमय कोश और आज्ञा चक्र
    • त्राटक साधना से दिव्य दृष्टि की जागृति
    • जप साधना
    • पंच तन्मात्राओं की साधनाएँ तथा सिद्धियाँ
    • पंच तन्मात्राओं का पंच ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्ध
    • शब्द साधना
    • रूप साधना
    • छाया पुरुष- हमारा समर्थ सूक्ष्म शरीर
    • रस साधना
    • गन्ध साधना
    • स्पर्श- साधना
    • विज्ञानमय कोश का जागरण
    • विज्ञानमय कोश-सूक्ष्म सिद्धियों का केन्द्र
    • विज्ञानमय कोश का केन्द्र संस्थान हृदयचक्र
    • विज्ञानमय कोश और जीवन साधना
    • विज्ञानमय कोश का जागरण
    • सोऽहम् साधना
    • आत्मानुभूति-योग
    • आत्मदर्शन की समर्थ साधना
    • आत्म- चिन्तन की साधना
    • दूसरी साधना
    • स्वर योग
    • आत्मानुभूति-योग
    • स्वर बदलना
    • स्वर-संयम से दीर्घ जीवन
    • विज्ञानमय-कोश की वायु साधना
    • त्रिविधि बंधन और उनसे मुक्ति
    • ग्रन्थि- बेध
    • आनन्दमय कोश का अनावरण
    • आनन्दमय कोश-शिव शक्ति का संगम
    • २७ समाधियों में सर्वोत्तम सहज समाधि
    • आनन्दमय कोश अनावरण
    • नाद साधना
    • नाद साधना का क्रमिक अभ्यास
    • आनन्दमय कोश की तीन उपलब्धियाँ समाधि, स्वर्ग और मुक्ति
    • बिन्दु साधना
    • नादयोग- दिव्य सत्ता के साथ आदान प्रदान
    • बिन्दुभेद की साधना-विधि
    • कला- साधना
    • पाँचकलाओं द्वारा तात्विक साधना
    • तुरीय अवस्था
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN SCAN TEXT SCAN SCAN SCAN SCAN


भाव संवेदनाओं का भाण्डागार: कारण शरीर

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 31 33 Last
सामान्य बुद्धि काया को ही अपना समग्र स्वरूप मानती है और उतने तक ही प्रसन्नता को सीमाबद्ध रखती है। शारीरिक स्वार्थ ही मनुष्य के, लक्ष्य बन कर रहते हैं। उसी को अपना समग्र स्वरूप मानते हुए सोचने और करने की परिधि सीमाबद्ध कर लेते हैं। शोभा सज्जनता समर्थता, सम्पन्नता, सरसता ही शरीर को रुचते हैं। इसलिए उन्हीं के निमित्त समूचा प्रयास नियोजित रहता है। पर प्राय: यह भुला ही दिया जाता है कि स्थूल के भीतर दो अन्य सताऐं भी विद्यमान हैं। सूक्ष्म शरीर को मोटे रूप से समझने के लिए चेतना के उस पक्ष को आधार मानना पड़ेगा जिसे कल्पना या विचारणा कहते हैं। कुशलता चतुरता भी। स्वभाव और रुझान इसी स्तर के साथ जुड़ा हुआ है। शिक्षा अनुभव अभ्यास के आधार पर विचार तन्त्र का उत्कर्ष किया जाता है। इस दिशा में प्रगतिशील व्यक्तियों को पैनी सूझ बूझ वाला चतुर, विद्वान आदि के नाम से जाना जाता है। यह शरीर के साथ संचित कल्मषों के बन्धनों से भी बँधा रहता है। इसीलिए उसकी दौड़धूप, कल्पना, इच्छा प्राय: बहिरंग जीवन के निमित्त ही क्रियाशील रहती है। जबकि मस्तिष्कीय गतिविधियों को कायिक निर्वाह के लिए सोचने और साधन जुटाने में संलग्न पाया जाता है।

कारण शरीर का तत्वज्ञान तो बढ़ा चढ़ा है, पर उसे सामान्य परिचय में भाव संवेदना कह सकते हैं। भावना, आस्था, प्रेरणा, साहस, विश्वास, आदर्श जैसे तत्व इसी क्षेत्र में उभरते हैं। किसी को महामानव स्तर तक विकसित करने की अलौकिकता इसी क्षेत्र में उभरती है। उसकी विकसित स्थिति इतनी समर्थ है कि एकाकी निर्धारण कर सके। अकेला चल सके। आदर्शों के लिए कठिनाइयों को सहन कर सके। बिना जगमगाए उच्च लक्ष्य तक पहुँच सके। योगी, तपस्वी, मनीषी, सुधारक, सृजेता इसी स्तर के होते हैं जो मात्र उत्कृष्टता की दिशा में ही कदम बढ़ाते हैं। विचार तन्त्र और क्रिया तन्त्र को साथ साथ घसीट ले चलने की क्षमता परिष्कृत कारण शरीर में ही होती है। साथ ही यह बात भी है कि इस क्षेत्र पर यदि अनैतिक, अवांछनीयता अधिकार जमा ले तो व्यक्ति को घिनौने स्तर का अपराधी आततायी और असुर बना देती है। इसलिए व्यक्तित्व का स्वरूप निर्धारित करने एवं उसे भला बुरा, समुन्नत, अध: पतित बनाने वाली उमंगें भी वहीं से उठती हैं। मानवीय गरिमा के अनुरूप जीवन जी सकना और महामानवों का स्तर अपना सकना जिस आधार पर सम्भव होता है उसे कारण शरीर ही कहना चाहिए।

कर्म स्थूल शरीर से बन पड़ते हैं। विचार सूक्ष्म शरीर में उठते हैं और भाव संवेदनाओं का उद्गम कारण शरीर को समझा जा सकता है। उदारचेत्ता संवेदनशील, आदर्शवादी, परमार्थी स्तर उन्हीं का होता है जिनका कारण शरीर परिष्कृत हो।

सूक्ष्म शरीर के विकृत, विपन्न होने पर कुकल्पनाऐं उठती हैं। चंचलता छायी रहती है। असम्बद्ध भटकाव का दौर चढ़ा रहता है। आदतें बिगड़ती हैं और स्वभाव घटिया हो जाता है। फलस्वरूप मानसिक उद्वेग बने रहते हैं। क्रोध, आतुरता, निराशा, चिन्ता, ईर्ष्या, प्रतिशोध महत्त्वाकाँक्षाओं का ऐसा उफान उठता रहता है जिसे समुद्र में उठने वाले ज्वार भाटे या उष्ण वायु में बनने वाले चक्रवात के समतुल्य समझा जा सके। मानसिक तनाव रहने पर शरीर भी स्वस्थ्य नहीं रह सकता क्योंकि मात्र आहार बिहार पर ही स्वस्थता निर्भर नहीं है वरन् उस तन्त्र के संचालन के उपयुक्त ऊर्जा मन: क्षेत्र में ही मिलती है। उद्वेग उभरने पर भूख, प्यास, नींद तक गायब हो जाती है और असन्तुलित मन: स्थिति में व्यक्ति सनकी, विक्षिप्त, उन्मादी, जैसा आचरण करने लगता है। दूरदर्शिता कुंठित हो जाने पर सामान्य गतिविधियाँ एवं निर्धारणाऐं भी ठीक तरह नहीं बन पड़ती। इतना ही नहीं, भीतरी अंग अवयवों पर इतना दबाव पड़ता है कि जहाँ तहाँ से, जिस तिस प्रकार की रुग्णता उभरने लगती है। बाह्य प्रभाव की प्रतिकूलता से जितना अनिष्ट होता है उससे कहीं अधिक अनर्थ मानसिक असन्तुलन से होता है। स्वास्थ्य बिगड़ता है और निर्णय निर्धारण क्रिया कलाप उलटे होने लगते हैं।

यदि शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक सुसन्तुलन का ध्यान रखा जाय तो उस स्थिति में बाह्य परिस्थितियों की प्रतिकूलता भी हँसते-हँसाते सहन कर ली जाती है। सही चिन्तन चलता रहे तो स्वभाव में ऐसी आदत सम्मिलित नहीं हो पाती जो स्वास्थ्य बिगाड़े मस्तिष्क तनावग्रस्त रहे। बेतुके आचरण अपनाए और व्यवहार कुशलता के अभाव में जैसे असहयोग तथा विग्रह का सामना करना पड़ता है, उस प्रकार का त्रास सहना पड़े। मन: स्थिति की विपन्नता ही अकर्म करने के लिए प्रेरित करती है और उसी कारण परिस्थितियाँ ऐसी बनती हैं जिन्हें दुखद या दुर्भाग्यपूर्ण कहा जा सके। एक जैसी परिस्थितियों में जन्में और पले व्यक्तियों में से कुछ लोकप्रिय होते हैं साथ ही तेजी से प्रगति पथ पर दौड़ लगाते हैं। चुम्बक अपने प्रभाव से लौह खण्डों को घसीटकर अपने साथ चिपका लेता है उसी प्रकार विचारशील व्यक्ति अपने सही चिन्तन को सद्भुणों में बदलता है और सद्गुणों के लिए चिरस्थायी सम्मान एवं सहयोग सुरक्षित रहता है। सही निर्णय सही स्वभाव, सही आचरण यही श्रृंखला अनेकानेक सफलताओं का आधारभूत कारण बनती है। जो इस तथ्य को नहीं समझते वे विचार तन्त्र को उच्छंखलता के खाई खन्दकों में भटकने देते हैं फलस्वरूप उनका व्यक्तित्व अवांछनीय हेयस्तर का बन जाता है। पग-पग पर ठोकरें लगती हैं। हर दिशा से तिरस्कार, उपहास, विरोध बरसता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं तो दुःखी रहता ही है साथ ही सम्बद्ध लोगों को, मित्र परिजनों को भी विषम विपन्नता में धकेलता है। कुसंस्कारिता अपने आप में एक विपत्ति है। वह जहाँ भी रहती है वहीं अपने स्तर के अनेक सहयोगियों को न्यौत बुलाती है। ऐसी विसंगतियों से भरा हुआ कोई व्यक्ति न तो स्वयं चैन से रहता है और नहीं जिसके साथ जुड़ता है उसे चैन से बैठने देता है। ऐसों के दुर्गति ही होती है वे कभी कहने योग्य सफलता और सज्जनों के द्वारा की गई प्रशंसा के पात्र नहीं बन पाते।

स्वास्थ्य सुधारने और सुन्दर सम्पन्न दीखने के लिए जितना प्रयत्न किया जाता है उतना ही यदि मन को सुसंस्कारी बनाने के लिए भी किया जाय तो अपेक्षाकृत कहीं अधिक लाभ में रहा जा सकता है। उपलब्धियाँ साधन सम्पदाऐं कितनी ही अधिक क्यों न हों उनका सदुपयोग करने की दूरदर्शी विवेकशीलता का अभाव रहे तो दुरुपयोग से अमृत भी विष बन सकता है। कुबेर को भी अभाव रह सकता है और इन्द्र जैसा सर्व सम्पन्न भी पतित, निन्दित एवं अभिशप्त स्थिति में पहुँच सकता है। जिन्हें इस वस्तु स्थिति का ज्ञान है वे सूक्ष्म शरीर को, विचार तन्त्र को, परिष्कृत, परिमार्जित बनाने पर पूरा पूरा ध्यान देते हैं और हर परिस्थिति में हँसता हँसाता हुआ खिलता खिलाता हुआ जीवन जीते हैं। यही है सूक्ष्म शरीर का सामान्य जीवन में सदुपयोग।

कारण शरीर में भाव संवेदनाओं का भण्डार है। असीम शक्ति का स्रोत यहीं से उभरता है। स्थूल शरीर को विकसित करने के लिए कर्मयोग का, सूक्ष्म शरीर की प्रगति के लिए ज्ञान योग का और कारण शरीर को समृद्ध बनाने के लिए भक्ति योग का आश्रय लेना पड़ता है।        

First 31 33 Last


Other Version of this book



गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां भाग-1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां भाग-6
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियाँ भाग-2
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां भाग-3
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां भाग-4
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां भाग-5
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • गायत्री साधना के दो स्तर
  • सूक्ष्म शरीर के अविज्ञात क्रिया कलाप
  • उच्चस्तरीय साधना और उसकी सिद्धि
  • उच्चस्तरीय साधना का तत्त्वज्ञान
  • गायत्री के पाँच मुख
  • देवताओं के अधिक अंगों का रहस्य
  • गायत्री माता की दस भुजायें और उनका रहस्य
  • प्रतीक का निष्कर्ष
  • गायत्री का भावनात्मक एवं वैज्ञानिक महत्व
  • गायत्री के पाँच मुख पाँच दिव्य कोश
  • अनन्त आनन्द की साधना
  • पाँच कोशों की स्थिति और प्रतिक्रिया
  • पाँच कोशों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि
  • चेतना के पाँच आयाम पंच कोश उपासना
  • सूक्ष्म शरीर के पाँच कोश एवं उनका वैज्ञानिक विवेचन
  • मानवी काया की चेतनसत्ता का वैज्ञानिक विवेचन वैज्ञानिक अध्यात्मवाद
  • पंच कोश और उनका अनावरण
  • जीवात्मा के तीन शरीर और उनकी साधना
  • तीन शरीर और उनका कार्य क्षेत्र
  • कायसत्ता के तीन कलेवर एवं उनका अनावरण
  • चारों ओर बिखरा सूक्ष्म का सिराजा
  • अन्तराल में समाई दिव्य शक्तियाँ सिद्धियाँ
  • मनुष्य देह में भरा विलक्षण विराट
  • स्थूल शरीर का परिष्कार कर्मयोग से
  • सूक्ष्म शरीर की महती सामर्थ्य
  • सूक्ष्म शरीर की दिव्य ऊर्जा और उसकी विशिष्ट क्षमता
  • प्रमाणित तो होता है, सूक्ष्म शरीर का अस्तित्व
  • नौ प्राणायाम
  • सूक्ष्मीकरण की अनेक गुनी सामर्थ्य
  • सूक्ष्म शरीर का दिव्यीकरण
  • सूक्ष्म शरीर के उत्कर्ष की पृष्ठभूमि
  • सूक्ष्म शरीर का उत्कर्ष ज्ञानयोग से
  • भाव संवेदनाओं का भाण्डागार: कारण शरीर
  • कारण शरीर देव शरीर
  • कारण शरीर की विशिष्टता भाव श्रद्धा
  • कारण शरीर का उत्कर्ष भक्तियोग से
  • स्थूल शरीर की तरह ही सूक्ष्म और कारण
  • योग साधना की तीन धाराएँ
  • त्रिविध शरीरों की समन्वित साधना
  • हमारा अद्भुत विलक्षण अन्नमय कोश
  • जीव सत्ता की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य
  • अन्नमय कोश और चमत्कारी हार्मोन ग्रन्थियाँ
  • हमारे शरीर के रहस्यमय घटक जीन्स
  • अन्नमय कोश का परिष्कार और प्रतिफल
  • अन्नमय कोश और उसका अनावरण
  • अन्नमय कोश की जाग्रति, आहार शुद्धि से
  • आहार के त्रिविध स्तर, त्रिविध प्रयोजन
  • आहार, संयम और अन्नमय कोश का जागरण
  • आहार विहार से जुड़ा है मन
  • आहार और उसकी शुद्धि
  • आहार शुद्धौः सत्व शुद्धौः
  • अन्नमय कोश की सरल साधना पद्धति
  • उपवास का आध्यात्मिक महत्त्व
  • उपवास से सूक्ष्म शक्ति की अभिवृद्धि
  • उपवास से उपत्यिकाओं का शोधन
  • उपवास के प्रकार
  • उच्चस्तरीय गायत्री साधना और आसन
  • आसनों का काय विद्युत शक्ति पर अद्भुत प्रभाव
  • आसनों के प्रकार
  • सूर्य नमस्कार की विधि
  • पंच तत्वों की साधना तत्व साधना एक महत्त्वपूर्ण सूक्ष्म विज्ञान
  • तत्व शुद्धि
  • तपश्चर्या से आत्मबल की उपलब्धि
  • आत्मबल तपश्चर्या से ही मिलता है
  • तपस्या का प्रचण्ड प्रताप
  • तप साधना द्वारा दिव्य शक्तियों का उद्भव
  • ईश्वर का अनुग्रह तपस्वी के लिए
  • पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
  • प्राणमय कोश और उसका विकास
  • प्राण शक्ति का स्वरूप और अभिवर्धन
  • प्राणमय कोश में सन्निहित प्रचण्ड जीवनी शक्ति-प्राण
  • प्राणायाम और प्राणशक्ति
  • प्राणायाम से प्राणमय कोश का परिष्कार
  • प्राणमय-कोश की साधना
  • प्राणाकर्षण की क्रियायें
  • पाँच प्राणों की साधना-पाँच कोशों की सिद्धि
  • पाँच प्राण-पाँच उपप्राणों की अद्भुत शक्ति धाराएँ
  • मूल बंध, उड्डियान बंध और जालंधर बंध का रहस्य
  • मुद्रा उपचार
  • मनोमय कोश का अनावरण
  • मनोमय कोश का विकास परिष्कार
  • मनोमय कोश की साधना से सर्वार्थ सिद्धि
  • मन और उसका निग्रह
  • ध्यान
  • त्राटक
  • त्राटक-साधन से एकाग्रता शक्ति का अभिवर्द्धन
  • मनोमय कोश और आज्ञा चक्र
  • त्राटक साधना से दिव्य दृष्टि की जागृति
  • जप साधना
  • पंच तन्मात्राओं की साधनाएँ तथा सिद्धियाँ
  • पंच तन्मात्राओं का पंच ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्ध
  • शब्द साधना
  • रूप साधना
  • छाया पुरुष- हमारा समर्थ सूक्ष्म शरीर
  • रस साधना
  • गन्ध साधना
  • स्पर्श- साधना
  • विज्ञानमय कोश का जागरण
  • विज्ञानमय कोश-सूक्ष्म सिद्धियों का केन्द्र
  • विज्ञानमय कोश का केन्द्र संस्थान हृदयचक्र
  • विज्ञानमय कोश और जीवन साधना
  • विज्ञानमय कोश का जागरण
  • सोऽहम् साधना
  • आत्मानुभूति-योग
  • आत्मदर्शन की समर्थ साधना
  • आत्म- चिन्तन की साधना
  • दूसरी साधना
  • स्वर योग
  • आत्मानुभूति-योग
  • स्वर बदलना
  • स्वर-संयम से दीर्घ जीवन
  • विज्ञानमय-कोश की वायु साधना
  • त्रिविधि बंधन और उनसे मुक्ति
  • ग्रन्थि- बेध
  • आनन्दमय कोश का अनावरण
  • आनन्दमय कोश-शिव शक्ति का संगम
  • २७ समाधियों में सर्वोत्तम सहज समाधि
  • आनन्दमय कोश अनावरण
  • नाद साधना
  • नाद साधना का क्रमिक अभ्यास
  • आनन्दमय कोश की तीन उपलब्धियाँ समाधि, स्वर्ग और मुक्ति
  • बिन्दु साधना
  • नादयोग- दिव्य सत्ता के साथ आदान प्रदान
  • बिन्दुभेद की साधना-विधि
  • कला- साधना
  • पाँचकलाओं द्वारा तात्विक साधना
  • तुरीय अवस्था
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj