Books - अंधविश्वास को उखाड़ फेंकिये
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Language: HINDI
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ढोंगियों का बढ़ा हुआ मायाजाल
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विज्ञापन द्वारा ठगी का व्यवसाय
दिल्ली। यहां के एक व्यवसायी ने विदेशी पत्रों में ‘जादू की अंगूठी’ का विज्ञापन छपाया और यह दावा किया कि इसके द्वारा तुम्हारी मनोकामना सिद्ध हो जायेगी। इसको पढ़कर कितने ही लोगों ने बड़ी रकम देकर अंगूठियां खरीदीं। पर जब उसका कोई फल देखने में न आया तो उन्होंने अपने देश स्थित भारतीय राजदूतों की मारफत भारत सरकार से शिकायत की। सरकार ने ऐसी कार्यवाही को देश की बदनामी का कारण समझ मुस्तैदी के साथ इसकी जांच की आज्ञा दी तो पुलिस ने जांच करके ऐसी अंगूठियां बेचने वाले एक व्यापारिक फर्म का पता लगाया है और उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की व्यवस्था की जा रही है। अब उसने कुछ शिकायत करने वाले ग्राहकों का रुपया भी वापस कर दिया है।
बालक के अंगों की आहुति
इटावा। औरैया से तीन वर्ष के एक बालक की हत्या करके उसके अंगों से हवन करने का ऐसा रोमांचकारी समाचार मिला है जिससे धार्मिक अन्ध-विश्वासों तथा धर्म का ढोंग करने वालों पर अत्यन्त घृणा उत्पन्न होती है। बताया जाता है कि एक ढोंगी भगत ने किसी व्यक्ति से कहा कि उसके मकान में बहुत-सा धन गढ़ा है। अगर वह सात बालकों का बलिदान दे तो वह धन उसे प्राप्त हो सकता है। इस लालच में पड़ कर उस व्यक्ति ने तीन वर्ष के एक बालक को गला घोंटकर मार डाला और भगत ने उसके कान, नाक तथा जीभ काट कर हवन में आहुति दी। इसके पश्चात् बालक की छाती का रक्त निकाल कर उसकी भी आहुति दी गई। बाकी बची लाश को एक तालाब में फेंक दिया गया। जांच करने पर बालक के खून लगे कपड़े और कटी हुई लाश मिल गई। भगत ने पहले इस प्रकार कई बालकों की हत्या करना स्वीकार किया है।
रुपया दुगुना करने वाला साधू
जबलपुर। आदे गांव (नरसिंहपुर) के एक ग्रामीण से 1200 रुपये ठग लेने के अभियोग में एक साधू को गिरफ्तार किया गया है। यह भोले लोगों को यह कहकर बहकाया करता था कि वह अपने देवता की उपासना की शक्ति से रुपयों को दूना कर सकता है। जो लालची और भोले लोग उसके चंगुल में फंस जाते थे उनको तरह-तरह से पूजा-पाठ का तमाशा दिखाकर भुलावे में डाल देता था और अन्त में किसी चालाकी से रकम को लेकर गायब हो जाता था। जांच करने पर पता लगा कि उसने लखनादौन और नरसिंहपुर में भी इसी तरह की धूर्तता से कितने ही लोगों को ठगा था। पुलिस को ग्रामीण का सब रुपया उसके पास से मिल गया।
तीन हजार लेकर चंपत
बारामऊ (सहरसा) यहां एक अजनबी जटा जूट धारी साधु बाबा कुछ दिन पूर्व आकर ठहरे थे। आरंभ में उन्होंने बहुत भजन, कीर्तन, व्रत, उपवास का रंग जमाया जिससे लोग खूब प्रभावित हुए। पीछे एक शंकर का मन्दिर बनाने तथा रुद्र यज्ञ करने की योजना बनाई। इसके लिए यहां से तथा आस-पास गांवों से करीब तीन हजार रुपया इकट्ठा कर लिया। एक रात उन रुपयों समेत चुपके से कहीं खिसक गये। तब से अब तक उनका कोई पता नहीं चला है।
इस घटना ने उन भोले लोगों की आंखें खोल दी हैं जो रंगे कपड़े या जटाजूट देखकर किसी भी भले बुरे को महात्मा मान लेते थे और उसकी मांगें पूरी करने में सौभाग्य मानते थे।
दिल्ली। यहां के एक व्यवसायी ने विदेशी पत्रों में ‘जादू की अंगूठी’ का विज्ञापन छपाया और यह दावा किया कि इसके द्वारा तुम्हारी मनोकामना सिद्ध हो जायेगी। इसको पढ़कर कितने ही लोगों ने बड़ी रकम देकर अंगूठियां खरीदीं। पर जब उसका कोई फल देखने में न आया तो उन्होंने अपने देश स्थित भारतीय राजदूतों की मारफत भारत सरकार से शिकायत की। सरकार ने ऐसी कार्यवाही को देश की बदनामी का कारण समझ मुस्तैदी के साथ इसकी जांच की आज्ञा दी तो पुलिस ने जांच करके ऐसी अंगूठियां बेचने वाले एक व्यापारिक फर्म का पता लगाया है और उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की व्यवस्था की जा रही है। अब उसने कुछ शिकायत करने वाले ग्राहकों का रुपया भी वापस कर दिया है।
बालक के अंगों की आहुति
इटावा। औरैया से तीन वर्ष के एक बालक की हत्या करके उसके अंगों से हवन करने का ऐसा रोमांचकारी समाचार मिला है जिससे धार्मिक अन्ध-विश्वासों तथा धर्म का ढोंग करने वालों पर अत्यन्त घृणा उत्पन्न होती है। बताया जाता है कि एक ढोंगी भगत ने किसी व्यक्ति से कहा कि उसके मकान में बहुत-सा धन गढ़ा है। अगर वह सात बालकों का बलिदान दे तो वह धन उसे प्राप्त हो सकता है। इस लालच में पड़ कर उस व्यक्ति ने तीन वर्ष के एक बालक को गला घोंटकर मार डाला और भगत ने उसके कान, नाक तथा जीभ काट कर हवन में आहुति दी। इसके पश्चात् बालक की छाती का रक्त निकाल कर उसकी भी आहुति दी गई। बाकी बची लाश को एक तालाब में फेंक दिया गया। जांच करने पर बालक के खून लगे कपड़े और कटी हुई लाश मिल गई। भगत ने पहले इस प्रकार कई बालकों की हत्या करना स्वीकार किया है।
रुपया दुगुना करने वाला साधू
जबलपुर। आदे गांव (नरसिंहपुर) के एक ग्रामीण से 1200 रुपये ठग लेने के अभियोग में एक साधू को गिरफ्तार किया गया है। यह भोले लोगों को यह कहकर बहकाया करता था कि वह अपने देवता की उपासना की शक्ति से रुपयों को दूना कर सकता है। जो लालची और भोले लोग उसके चंगुल में फंस जाते थे उनको तरह-तरह से पूजा-पाठ का तमाशा दिखाकर भुलावे में डाल देता था और अन्त में किसी चालाकी से रकम को लेकर गायब हो जाता था। जांच करने पर पता लगा कि उसने लखनादौन और नरसिंहपुर में भी इसी तरह की धूर्तता से कितने ही लोगों को ठगा था। पुलिस को ग्रामीण का सब रुपया उसके पास से मिल गया।
तीन हजार लेकर चंपत
बारामऊ (सहरसा) यहां एक अजनबी जटा जूट धारी साधु बाबा कुछ दिन पूर्व आकर ठहरे थे। आरंभ में उन्होंने बहुत भजन, कीर्तन, व्रत, उपवास का रंग जमाया जिससे लोग खूब प्रभावित हुए। पीछे एक शंकर का मन्दिर बनाने तथा रुद्र यज्ञ करने की योजना बनाई। इसके लिए यहां से तथा आस-पास गांवों से करीब तीन हजार रुपया इकट्ठा कर लिया। एक रात उन रुपयों समेत चुपके से कहीं खिसक गये। तब से अब तक उनका कोई पता नहीं चला है।
इस घटना ने उन भोले लोगों की आंखें खोल दी हैं जो रंगे कपड़े या जटाजूट देखकर किसी भी भले बुरे को महात्मा मान लेते थे और उसकी मांगें पूरी करने में सौभाग्य मानते थे।