Books - कर्मकांड प्रदीप
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Language: HINDI
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पञ्चभू- संस्कार
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१. परिसमूहन- ॐ दर्भैः परिसमूह्य, परिसमूह्य, परिसमूह्य।
अर्थात्- कुशाओं से बुहार कर (गन्दगी- कचरा साफ करें)।
२. उपलेपन- ॐ गोमयेन उपलिप्य, उपलिप्य, उपलिप्य।
अर्थात्- गाय के गोबर से लीपकर (पवित्र बनाएँ)।
३. उल्लेखन- ॐ स्रुवमूलेन उल्लिख्य, उल्लिख्य, उल्लिख्य।
अर्थात्- स्रुवा के मूल से रेखा खींच कर (चिह्नित करें)।
४- उद्धरण- ॐ अनामिकांगुष्ठेन उद्धृत्य, उद्धृत्य, उद्धृत्य।
अर्थात्- अनामिका एवं अँगूठे से उठाकर (मिट्टी को बाहर फेंक देंं)।
५. अभ्युक्षण- ॐ उदकेन, अभ्युक्ष्य, अभ्युक्ष्य, अभ्युक्ष्य।
अर्थात्- उदक (जल) से सिञ्चित करके (पवित्र करें)।
अर्थात्- कुशाओं से बुहार कर (गन्दगी- कचरा साफ करें)।
२. उपलेपन- ॐ गोमयेन उपलिप्य, उपलिप्य, उपलिप्य।
अर्थात्- गाय के गोबर से लीपकर (पवित्र बनाएँ)।
३. उल्लेखन- ॐ स्रुवमूलेन उल्लिख्य, उल्लिख्य, उल्लिख्य।
अर्थात्- स्रुवा के मूल से रेखा खींच कर (चिह्नित करें)।
४- उद्धरण- ॐ अनामिकांगुष्ठेन उद्धृत्य, उद्धृत्य, उद्धृत्य।
अर्थात्- अनामिका एवं अँगूठे से उठाकर (मिट्टी को बाहर फेंक देंं)।
५. अभ्युक्षण- ॐ उदकेन, अभ्युक्ष्य, अभ्युक्ष्य, अभ्युक्ष्य।
अर्थात्- उदक (जल) से सिञ्चित करके (पवित्र करें)।