Books - कर्मकांड प्रदीप
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
आरती शिव जी की
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
आरती त्रिशूलधारी की, कृपानिधि त्रितापहारी की। जमा जब असुरों का डेरा, लगाया विपदा ने फेरा॥ जगत् को पापों ने घेरा, धरा ने व्याकुल हो टेरा। शम्भु दो त्राण, मिटे अज्ञान। शक्ति उभरी त्रिपुरारी की॥ आरती त्रिशूलधारी की ................. दोषमय हुआ मनुज चिन्तन, दिव्य गुण छोड़ हुआ निर्धन। दीन- हीनों जैसा जीवन, निराशा ग्रसित मनुज का मन। देवता विकल, साधना सफल। हुई लीला अवतारी की॥ आरती त्रिशूलधारी की ................. बन गये शिव प्रज्ञा- अवतार, दूर करने को युग का भार। शिवगणों को करने तैयार, साथ ले जगदम्बा का प्यार॥ गही युग डोर, दिया झकझोर। बजी धुन डमरूधारी की॥ आरती त्रिशूलधारी की ................. कृपा कर महाकाल आए, सभी शिवगण हैं हर्षाए। भावनाशील दौड़ धाये, लोकहित में आगे आए॥ चाहते भक्ति और शिव शक्ति। वन्दना संकटहारी की॥ आरती त्रिशूलधारी की .................
॥ आरती शिव जी की॥
ॐ जय शिव ओङ्कारा, ओ३म् जय शिव ओङ्कारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, त्रिगुणात्मक धारा॥ ॐ जय.................... चतुरानन एकानन पञ्चानन राजे। हंसासन, गरुडासन, वृषवाहन साजे॥ ॐ जय.................... दो भुज चार चतुर्भुज, दशभुज अति सोहे। त्रिगुण स्वरूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय.................... अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी। चन्दन मृगमद् चन्दे, भोले शुभकारी॥ ॐ जय.................... श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघाम्बर अङ्गे। सनकादिक देवादिक, भूतादिक सङ्गे॥ ॐ जय.................... करके मध्य कमण्डलु, चक्र त्रिशूल धर्त्ता। जग सर्जक जग पालक, परिवर्तन कर्त्ता॥ ॐ जय.................... ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, प्रेरक सुविवेका। प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका॥ ॐ जय.................... त्रिगुण स्वामी की आरती, जो कोई नर गावे। आयु- प्राण, शुभ सद्गति पावे॥ ॐ जय....................
॥ आरती शिव जी की॥
ॐ जय शिव ओङ्कारा, ओ३म् जय शिव ओङ्कारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, त्रिगुणात्मक धारा॥ ॐ जय.................... चतुरानन एकानन पञ्चानन राजे। हंसासन, गरुडासन, वृषवाहन साजे॥ ॐ जय.................... दो भुज चार चतुर्भुज, दशभुज अति सोहे। त्रिगुण स्वरूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय.................... अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी। चन्दन मृगमद् चन्दे, भोले शुभकारी॥ ॐ जय.................... श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघाम्बर अङ्गे। सनकादिक देवादिक, भूतादिक सङ्गे॥ ॐ जय.................... करके मध्य कमण्डलु, चक्र त्रिशूल धर्त्ता। जग सर्जक जग पालक, परिवर्तन कर्त्ता॥ ॐ जय.................... ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, प्रेरक सुविवेका। प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका॥ ॐ जय.................... त्रिगुण स्वामी की आरती, जो कोई नर गावे। आयु- प्राण, शुभ सद्गति पावे॥ ॐ जय....................