Magazine - Year 1957 - Version 2
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Language: HINDI
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भारत भी अणु बम तैयार कर सकता है।
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(श्री आर.सी. भट्टाचार्य एम.ए.)
इस समय संसार में अणु शक्ति का आविष्कार और प्रचार एक बहुत बड़ी घटना है। जिस प्रकार भाप का इंजन शुरू में एक खिलौने की सी चीज ही जान पड़ता था और ज्यादातर लोग उसे एक तमाशे के रूप में ही देखते थे, उसी प्रकार अभी अधिकाँश लोग अणु शक्ति को केवल एक आश्चर्य जनक चमत्कार के रूप में देख रहे हैं और उसके नाशक रूप की चर्चा कर रहे हैं। पर जिस प्रकार भाप के इंजन का वास्तविक रूप में प्रयोग करने से संसार की काया पटल हो गई और योरोप दुनिया भर का मालिक बन बैठा, उसी प्रकार अणु शक्ति भी विलक्षण प्रभाव रखती है। अगर उसका उचित रूप से उपयोग किया जाय तो उससे उद्योग-धन्धों, खेती, चिकित्सा आदि अनेक क्षेत्रों में काया पलट हो सकती।
इसी उद्देश्य को सामने रखकर भारत में कई वर्ष से अणु-शक्ति के विकास की चेष्टा की जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री नेहरू जी ने अणु शक्ति का आविष्कार होते ही उसके महत्व को समझ लिया और उसकी खोज तथा विकास के लिए देश में एक केन्द्र स्थापित कर दिया। वह केन्द्र गत दो-तीन वर्ष से लगातार इस दिशा में प्रयत्न कर रहा है जिसके फलस्वरूप इस वर्ष के आरम्भ में बम्बई में अणु शक्ति उत्पादन करने वाला एक कारखाना काम करने लग गया है। आरम्भ में यह कारखाना बिजली और प्लूटोनियम नामक धातु तैयार करेगा। साथ ही देश के खाद बनाने वाले कारखानों में ‘भारी जल’ भी तैयार किया जा रहा है। यह भी अणु-शक्ति के उत्पादन के लिए आवश्यक पदार्थ है। यह आशा की जा रही है कि द्वितीय पंचवर्षीय योजना की अवधि में देश में अणु शक्ति के कई कारखाने खुल जायेंगे और उसकी जानकारी रखने वाले तथा उसका व्यवहार कर सकने वाले अनेक वैज्ञानिक और कार्यकर्ता तैयार हो जायेंगे।
प्रधान मंत्री नेहरू जी ने इस कारखाने का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘चाहे कुछ भी हो और कैसी भी परिस्थितियाँ सामने आवे हम अणु शक्ति का प्रयोग बुरे उद्देश्य- अर्थात् नाश के लिए नहीं करेंगे। हम इस शक्ति का विकास ऐसे ढंग से ही करना चाहते हैं जिससे संसार का उपकार हो, अपकार नहीं। अणु-शक्ति के विकास में उन्नत देशों में यह अनुभव किया जा रहा है कि अगर इस शक्ति का गलत ढंग से उपयोग किया जायेगा तो वह बहुत भयंकर साबित हो सकती है। अब सभी समझदार आदमी इस बात को जान गये हैं कि अगर अणु शक्ति का प्रयोग युद्ध में किया गया तो वह संसार भर के लिये महा विपत्तिकारी होगा। इसीलिये इस समय सर्वत्र अणु शक्ति के हथियारों के नियंत्रण की चर्चा हो रही है। यद्यपि वर्तमान परिस्थिति में यह बड़ा कठिन कार्य है, तो भी उन देशों की जनता तथा जिनके हाथों में उन राष्ट्रों की बागडोर है वे नेता भी इस स्थिति पर अधिकाधिक विचार करने लगे हैं।
“कुछ भी हो हमें भी इस शक्ति का अपने देश में विकास करना आवश्यकीय है। कुछ लोग कहते हैं कि इस समय तो इसके विकास से जनता का कोई खास हित साधन नहीं हो सकता। पर कुछ भी हो, हम चाहें अणु शक्ति को पसंद करें या न करें, अगर हमें संसार में आगे बढ़ना है तो हमको इस शक्ति का विकास करना ही पड़ेगा। अन्यथा हमें दूसरों के पीछे घिसटना पड़ेगा।
“अगर्चे अभी अणु शक्ति का प्रयत्न आरम्भ हुए दो वर्ष का समय ही हुआ है, तो भी हमारे देश ने अच्छा काम किया है। इसके लिए ‘अणु शक्ति’ आयोग‘ के अध्यक्ष डॉ. होमी जे. भाभा भौतिक प्रयोगशाला के निर्देशक डॉ. के.एस. कृष्णन तथा अनेक युवक वैज्ञानिक प्रशंसा के पात्र हैं। केवल कंक्रीट और सीमेन्ट की इमारतें खड़ी कर देने तथा बड़ी-बड़ी मशीनें लगा देने से ही काम नहीं चल सकता, वरन् भविष्य का वास्तविक निर्माण तो मानवीय मसाले से ही होगा।”
इस प्रकार भारत संसार की एक सबसे बड़ी और आधुनिकतम शक्ति के विषय में स्वावलम्बी बन रहा है और उसके ऊपर अपना नियन्त्रण स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है। जबकि हमारा पड़ोसी पाकिस्तान, अमरीका से कुछ अणु-हथियार प्राप्त करके इसका घमंड कर रहा है कि हम इनके द्वारा दूसरों का नाश कर सकते हैं, भारत इस शक्ति द्वारा अपना ही नहीं, एशिया और अफ्रीका के अन्य कितने ही देशों का भी उपकार करने की तैयारी कर रहा है। इसका यह अर्थ नहीं कि भारत दूसरे देशों की तरह अणु-हथियार नहीं बना सकता। अभी हाल में एक मन्त्री ने कहा था कि हम चाहें तो एक-दो वर्ष में एटम बम बना सकते हैं, पर हम ऐसा करना हर्गिज नहीं चाहते। हम तो संसार भर में से अणु-युद्ध के भय को मिटाने की अधिक से अधिक चेष्टा कर रहे हैं, जिससे मनुष्य जाति की इस महा भयंकर खतरे से रक्षा हो सके।