Magazine - Year 1957 - Version 2
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Language: HINDI
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आगामी वर्षों की चेतावनी
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(प्रो. अवधूत, गूढ़ यंत्र विद्या विशारद, गोरे गाँव-बम्बई)
ज्योतिष को आप मानो चाहे न मानो पर उसका प्रभाव जरूर पड़ता है और आज समस्त संसार उसका अनुभव कर रहा है। आगामी कुछ वर्षों में होने वाली अनेक चमत्कारी और चौंकाने वाली घटनायें यहाँ दी जाती हैं।
आने वाले वर्षों में बृहस्पति, राहु और शनि तीनों ग्रह एक दूसरे से बारहवें होंगे। ये तीनों ग्रह पृथ्वी और ग्रहों की कक्षा के बहिर्वर्तुल में होने से ज्यादा प्रभाव डालते हैं। इससे अनुमान होता है कि आगामी वर्षों में अणु-अस्त्रों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकेगा और इस प्रश्न पर विवाद बढ़कर विशाल रूप में विनाशक यंत्रों की खोज जारी रहेगी, मिश्र में फिर से अशाँति होगी और स्वेज की नहर में फिर से खतरा उत्पन्न हो जायेगा।
देश में अन्न की परिस्थिति विषम होगी और सरकारी नीति के कारण वह और भी असंतोषजनक होती जायेगी जिसके फलस्वरूप अनेक जगह लोग उपद्रव करने लगेंगे। वे गल्ला संग्रह करने वालों को मार-पीट कर अन्न को लूट कर खायेंगे। बहुत से इस परिस्थिति से बचने के लिए वेश परिवर्तन कर डालेंगे। विश्व विग्रह को रोकने के लिए अनेक प्रयत्न होने पर भी वह सन् 1962 तक फट पड़ेगा। उसमें भयंकर जन-संहार तथा सम्पत्ति नाश होने से समस्त राष्ट्रों पर उसका प्रभाव पड़ेगा।
कितने ही क्षेत्रों में सनसनी उत्पन्न करने वाली घटनायें होंगी। भौतिक विज्ञान के अनेक चमत्कारी आविष्कार-जैसे विश्व-किरण, प्रकाश की लहरें सूर्य के तल पर होने वाले परिवर्तन, रेडियो की लहरों में निष्क्रियता, अन्य ग्रहों की खोज आदि के फल से कायापलट होने लगेगी।
जब शनि धीरे-धीरे धनु में से मकर राशि में संक्रमण करेगा तो काँग्रेस के चुनाव में भी असर पड़ेगा और विनोबा भावे के अनुयायी आगामी चुनाव में विशेष रूप से सफलता प्राप्त करेंगे तथा देश की परिस्थिति में क्राँतिकारी परिवर्तन दिखलाई पड़ेंगे।
सन् 1958-59 में भारत भूमि में से अनेकों खनिज पदार्थों की खानें खोज कर निकाली जायेंगी जिनसे तेल, पेट्रोल, ताँबा, लोहा, कोयला, यूरेनियम आदि अनेक प्रकार के पदार्थ प्राप्त होने लगेंगे। जब सूर्य विषु-वृत्त पर आकर मेष और तुला राशि में प्रवेश करेगा तो एशिया के आग्नेय कोण के देशों पर बहुत असर पड़ेगा। इन वर्षों में भूकम्प, ज्वालामुखी का फूटना, पृथ्वी का फटना, नदियों के प्रवाह में परिवर्तन आदि अनेक प्राकृतिक उपद्रवों का बहुत अधिक भय है और उनका असर अनेक प्रकार की जनता पर बहुत हानिकारक होगा। 22 अक्टूबर 1958 को वृश्चिक राशि में बृहस्पति तथा बुध युति होने से दुनिया के अनेक भागों में -एक-एक कर आस्ट्रेलिया, न्यूगिनी आदि में भूकम्प की संभावना है।
जब नेपच्यून तुला राशि में से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा तो अक्टूबर से दिसम्बर 1958 तक कच्छ, गुजरात, सौराष्ट्र, पूर्व बंगाल, कश्मीर और नेपाल में भूकम्प के धक्के लगेंगे। जनवरी 59 से मई 1959 तक अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं का बहुत अधिक उथल-पुथल होगी जिसके फल से उस समय के नेता इस्तीफा देंगे, कहीं के मर जायेंगे और कहीं उपद्रव फैल जायेंगे।
सन् 1958 के ग्रहण के फल से विषाक्त-रक्त की बीमारी का जोर बढ़ेगा और छूत के रोगों में भी वृद्धि हो सकती है। इन रोगों पर दवाएं बिल्कुल निष्फल जायेंगी, किसी प्रकार की दवा का असर मनुष्यों पर नहीं हो सकेगा। उस दशा में वायु को शुद्ध करने वाले यज्ञ यागादि का प्रचार बढ़ेगा और विश्व शाँति के लिये बड़े-बड़े यज्ञों का आयोजन किया जायगा। यज्ञों के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ेगी।
यह विवरण हमने ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के आधार पर लिखा है। वैसे विश्व के कर्ता-धर्ता परमेश्वर की लीला का कोई पार नहीं पा सकता, इसलिये जो कुछ होना है उसकी मरजी से ही होगा। जब कोई कष्ट का समय आवे तो ईश्वर का स्मरण करना ही एकमात्र मार्ग है।